સોમવાર, 13 એપ્રિલ, 2015

History of mogalma and rajeshwarima zinzuwada

★***** ऐक भव्य इतिहास *****★
समग्र भारत मे डोली प्रथा बंध करानेवाली और
बेटी की सहाय कर दील्ही के बादशाह का सिंहासन डोलानेवाली मॉ राजल की कूलदेवी
★**** मॉ मॉगल माता ********★
सच्चा इतिहास राज बारोट के चोपडे का दीखाता हू
बिकानेर की पूथ्वीराज की जान झालावाड के छोटे राज्य झीझूवाडा मे आयी थी.
तह पूरे भारत मे मूजरा ,मूह दीखाइ,डोली प्रथा बादशाहने चालू की थी.
कोइ भी डोली हादशाह को सलाम करने ले जाने का फरमान...
पर यहा ���� zinzuwadaा के राजा योगराजजी की कूवरी लोलादे..
जो उनकी सहायक देवी मॉ राजल की उपासक थी उसने शर्त रखी शादी तब करूगी जब आप वचन दो की हादशाह के दरबार मे डोली नही भेजाोगे... बारात मे सन्नाटा मच गया बादशाह से यूध्ध जेसी बात...
तब बहादूर यूवराज जो शादी करनाे आये थे बहूत चिंतीत हूवे..
तभी ऐक वीर राजवी कलाजी राठोड साक्षी बना की हे बहन मे वचन देता हू जब तक जीवीत हू मे बादशाह के वहा तेरी डोली नही जायेगी..
राजकूमारी ने कहा भाइ आप पर भरोसा हे पर मूजे कोइ देवी शक्ति का जामीन भरोसा भी चाहीये क्यू की बादशाह से वो,ही बचा शकती हे
पूथ्वीराजसिंह. आबरू जाने के डर से सिंहसर तालाव की पाल पर जाकर कटार खीचकर आत्महत्या करने जा रहे थे ..
तभी अचानक ऐक देवी प्रगट हूइ. बोले मे राजल की कूलदेवी मॉ हू मोगल मॉ भी कहलावूगी मे तेरी साक्षी बनती हू
मेरी राजबाइ की उपासक बेटी की रक्षा मे शेरनी बनकर करूगी..
फिर धामधूम से विवाह हूवा..
डोली लाने का बादशाह का हूकम न मानने पर यूध्ध करने की बात आयी बिकानेर की सेना बीलकूल छोटी सी थी...
तभी लोलादे की प्रार्थना से आइ राजल की कूलदेवी शेरनी बनकर डोली मे सवार हूइ और वीर कलाजी ने डोली उठायी ये दोनो के भरोसे लोलादे.. डोली मे बेठे
डोली दील्ही पहूची की पूरा गढ हीलने लगा. झाडा उल्टी सैनिको को,होने लगी. डोली बादशाह के सैनीक खोले उससे पहले कलाजी राठोड कटार लेकर बादशाह की गरदन पर बेठ गया मॉ शेरनी बनकर वहा बिराजीत हूवे.. बादशाह ने हाथ जोडकर कहा देवी मॉ हम मॉगलो की मॉ बनकर मूजे माफ करो हम सदा आपकी पूजा करेगे. और मॉ मॉगल का बादशाह के दरबार मे स्थानक बनवाया जो आज भी हे मॉगल मॉ..
और कलाजी के कहने पर बादशाहने लिखकर हूकूम कीया की
आज से,पूरे भारत मे डोली प्रथा बंध.
ओर लोलादे को प्रणाम कर मानसहित डोली बादशाहने विदाय की....इतिहास बिकानेर और zinzuwada ������और कलाजी के स्टेट मे मोजूद हे...
और आज भी राजल की कूलदेवी मॉ मॉगल की देरी झीझूवाडा मे राजबाइ माता के मन्दीर के सामने हे..

  Jay    zinzuwada state

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