બુધવાર, 28 ઑક્ટોબર, 2015

સોમવાર, 13 જુલાઈ, 2015

Zinzuwada state heritage city

Zinzuwada state heritage city
આ દરવાજો વિજ્ય ગેટ કહેવાય છે
સમગ્ર ગુજરાતનું ગૌરવ વધારનાર ઐતિહાસિક સ્મારક છેતેની વિજ્યગાથા ટુંકમાં રજૂ કરુ જરૂર વાંચજો
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विर वनविरसिंहजी झाला (Zinzuwada state)
राज हलपालदेवजी की 17 मू पेढी राजा छत्रछालसिंहजी इस 1407 मे पाटडी राजधानी मे झालावाड मे राज्य करते थे उनके छोटे भाइ
कूंवर वनविरसिंह जो बहूत बहादूर थे उनको रात्रि मे स्वप्न मे माता राज राजेस्वरी ने कहा की
हे विर पूत्र मे तूम पर प्रसन्न हू तूजे मे झींझुवाडा की राजगादी देती हू सूमरा मुसलमान न् वहा मेरे स्थानक पर गौवध कीया प्रजा परेशान हे तूम सूबहा होते ही आक्रमण करो ओऱ वहा राज करो मे तेरी सहायक देवी बनूगी
पाटडी के पास झींझुवाडा ऐक महत्वपूण लश्करी थाना था सोलंकी सिध्धराज जयसिंह ने बनाया था जो मूसलमानो ने जित लिया था
उसका गढ मजबूत था उलको जितना बहूत ही मूश्किल था
विर वनविरसिंहने कहा ये गढ किल्ला जितना बहूत कठीन काम हे हजारो का सैन्य वहा मौजूद रहता हे देवी मा हमारे पूर्वज कभी नही जित शके
तो माता राजल ने कहा तूम पस्चिम दरवाजे से हूमला करो वहा गढ पर श्रीफल चूंदडी मिलेगे मेे तेरे भाले पर देव चकलि बनकर बिराजूगी ये सूकून मिले तब यूध्ध करना विज्य तेरा हे वचन देती हू
रात को बडे भाइ राजा को जगाकर वनविरसिंह ने बात की उनसे ऱाजा सोच भी नही शकते थे की झींझुवाडा जीत सकते हे गम क्यूकी 5000 सूमरा की विशाल सेना वहा मोजूद थी पर विर भाइ वनविरसिंह पर उनको पूरा विस्वास था गले लगाकर अनूमती दी ओर कहा मे गर्व से वहा तेरा राजतिलक करूगा
सूबहा होते ही 500 घूडस्वारो के साथ विर वनविरसिंहने केसरीया कीया झींझुवाडा गढ के नेरूत्य कोने पर कंकू थापा श्रीफल चूंदडी मिले माँ राजल देव चकली बनकर भाले पर बिराजे तब जयजयकार हूइ गढ के पस्चिम दरवाजे से हूमला किया
उधर मा राजल ने सूमरा सैन्य को बिमारी कोलेरा कर दीया झाडा उल्टी ओर कमजोर कर दीया कोोइ शराब मे मस्त थे तभी विर राजवी ने ऊट को आडश रखकर हाथी से दरवाजा तोड दीया
फिर भयंकर यूध्ध हूवा विरता की कसोटी थी वनविरसिंह ने केसरीया किया था रोद् रूप धारन कीया अकेेले 500 सूमरा को काट दीया दो दीन यूध्ध चला 2000 सूमरा को सैन्य ने मार दीया ओर त्राहीमाम जनता का भी साथ मिला बाकी सभी विर घायल शेर वनविरसिंहकी दहाड सूनकर भागने लगे
विज्यनाद हूवा झालावाड का गौरवदीन बना ये महान विज्य
राज छत्रछालसिंहजी भी पधारे गले लगाया स्नेह से विर भाइ को ओर झींझुवाडा गादी पर राज वनविरसिंह का राजतिलक किया जयनाद हूवा तब माँ राजल प्रगट हूवे ओर आशिस दीया की अब से मे सहायक देवी बनूगी ओर सभी तरफ मूसलमान रीयासत होते हूवे भी आपको कभी कोइ हरा नही पायेगा आज तक वहा झाला राजपूतो का राज हे सभी राजगादी बदली पर झींझुवाडा को कोइ कयजीत नही पाया सोमनाथ पर जब आक्मन हूवे तब पहेला यूध्ध यहा होता था पर जित नही पाते मबॊलमान इस किल्ले को और आगे बढते थे ऐकवार तो सोमनाथ का लूटा हूवा धन भी यहा से योजना बनाकर मुसलमान सैन्य को रन मे गूमराह कर वापस लिया
विर वनविर सिंह की ये विजय इतिहास मे सूवर्ण अक्षर मे लिखी गयी —

સોમવાર, 20 એપ્રિલ, 2015

Zinzuwada film suiting

Zinzuwada film during

Movies name- kati bati

Actor - imrankhan

Suting ground- madapol gate in zinzuwada

મંગળવાર, 14 એપ્રિલ, 2015

History of zinzuwada

Shstrpoojn
Maa shakti no chhelo visamo zinzuwada jya shiv shkti nu antim miln thyu
Te jgya jya kuldevi mrmra devi ni sthapna krel te pvitr bhumi
Jay maa shakti
Jay maa marmra

સોમવાર, 13 એપ્રિલ, 2015

History of mogalma and rajeshwarima zinzuwada

★***** ऐक भव्य इतिहास *****★
समग्र भारत मे डोली प्रथा बंध करानेवाली और
बेटी की सहाय कर दील्ही के बादशाह का सिंहासन डोलानेवाली मॉ राजल की कूलदेवी
★**** मॉ मॉगल माता ********★
सच्चा इतिहास राज बारोट के चोपडे का दीखाता हू
बिकानेर की पूथ्वीराज की जान झालावाड के छोटे राज्य झीझूवाडा मे आयी थी.
तह पूरे भारत मे मूजरा ,मूह दीखाइ,डोली प्रथा बादशाहने चालू की थी.
कोइ भी डोली हादशाह को सलाम करने ले जाने का फरमान...
पर यहा ���� zinzuwadaा के राजा योगराजजी की कूवरी लोलादे..
जो उनकी सहायक देवी मॉ राजल की उपासक थी उसने शर्त रखी शादी तब करूगी जब आप वचन दो की हादशाह के दरबार मे डोली नही भेजाोगे... बारात मे सन्नाटा मच गया बादशाह से यूध्ध जेसी बात...
तब बहादूर यूवराज जो शादी करनाे आये थे बहूत चिंतीत हूवे..
तभी ऐक वीर राजवी कलाजी राठोड साक्षी बना की हे बहन मे वचन देता हू जब तक जीवीत हू मे बादशाह के वहा तेरी डोली नही जायेगी..
राजकूमारी ने कहा भाइ आप पर भरोसा हे पर मूजे कोइ देवी शक्ति का जामीन भरोसा भी चाहीये क्यू की बादशाह से वो,ही बचा शकती हे
पूथ्वीराजसिंह. आबरू जाने के डर से सिंहसर तालाव की पाल पर जाकर कटार खीचकर आत्महत्या करने जा रहे थे ..
तभी अचानक ऐक देवी प्रगट हूइ. बोले मे राजल की कूलदेवी मॉ हू मोगल मॉ भी कहलावूगी मे तेरी साक्षी बनती हू
मेरी राजबाइ की उपासक बेटी की रक्षा मे शेरनी बनकर करूगी..
फिर धामधूम से विवाह हूवा..
डोली लाने का बादशाह का हूकम न मानने पर यूध्ध करने की बात आयी बिकानेर की सेना बीलकूल छोटी सी थी...
तभी लोलादे की प्रार्थना से आइ राजल की कूलदेवी शेरनी बनकर डोली मे सवार हूइ और वीर कलाजी ने डोली उठायी ये दोनो के भरोसे लोलादे.. डोली मे बेठे
डोली दील्ही पहूची की पूरा गढ हीलने लगा. झाडा उल्टी सैनिको को,होने लगी. डोली बादशाह के सैनीक खोले उससे पहले कलाजी राठोड कटार लेकर बादशाह की गरदन पर बेठ गया मॉ शेरनी बनकर वहा बिराजीत हूवे.. बादशाह ने हाथ जोडकर कहा देवी मॉ हम मॉगलो की मॉ बनकर मूजे माफ करो हम सदा आपकी पूजा करेगे. और मॉ मॉगल का बादशाह के दरबार मे स्थानक बनवाया जो आज भी हे मॉगल मॉ..
और कलाजी के कहने पर बादशाहने लिखकर हूकूम कीया की
आज से,पूरे भारत मे डोली प्रथा बंध.
ओर लोलादे को प्रणाम कर मानसहित डोली बादशाहने विदाय की....इतिहास बिकानेर और zinzuwada ������और कलाजी के स्टेट मे मोजूद हे...
और आज भी राजल की कूलदेवी मॉ मॉगल की देरी झीझूवाडा मे राजबाइ माता के मन्दीर के सामने हे..

  Jay    zinzuwada state

શનિવાર, 4 એપ્રિલ, 2015

zala vans varidhi book lonch



ઝાલા વંશ વારીધી અનમોલ રત્નો પૂસ્તક વિમોચન
સ્થળ-: ઝીંઝુવાડા. રાજરાજેસ્વરી મંદીર
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વાંકાનેર રાજકવિ દ્વારા લખાયેલ ઐતિહાસીક પૂસ્તકની નવી આવુતી સૂધારણા સાથે લેખક દવારા લખાયેલ પુસ્તક
"ઝાલા વંશ વારિધી અને તેના અનમોલ રત્નો"
નુ વિમોચન અનેક ગામના રાજપૂત આગેવાનોની ઉપસ્થીતીમાં ઝાલાવાડના ઝીંઝુવાડા ગામમાં કરવામાં આવ્યુ ઝાલાવાડનો ભવ્ય વારસો અને શૂરવીરાના પરાક્રમોને વર્ણવતૂ આ પૂસ્તક ખૂબ જ મહત્વ ધરાવે છે
જય માતાજી

 thanks for the
Jayrajsinh zala


શુક્રવાર, 3 એપ્રિલ, 2015

history of zinzuwada

Raj vanveersinhji zala king ofविर वनविरसिंहजी झाला (Zinzuwada state)

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राज हलपालदेवजी की 17 मू पेढी राजा छत्रछालजी इस 1407 मे पाटडी राजधानी मे झालावाड मे राज्य करते थे उनके छोटे भाइ
कूंवर वनविरसिंह जो बहूत बहादूर थे उनको रात्रि मे स्वप्न मे माता राज राजेस्वरी ने कहा की
हे विर पूत्र मे तूम पर प्रसन्न हू तूजे मे झीन्झूवाडा की राजगादी देती हू सूमरा मुसलमान न् वहा मेरे स्थानक पर गौवध कीया प्रजा परेशान हे तूम सूबहा होते ही आक्रमण करो ओऱ वहा राज करो मे तेरी सहायक देवी बनूगी
पाटडी के पास झीन्झूवाडा ऐक महत्वपूण लश्करी थाना था सोलंकी सिध्धराज ने बनाया था जो मूसलमानो ने जित लिया था
उसका गढ मजबूत था उलको जितना बहूत ही मूश्किल था
विर वनविरसिंहने कहा ये गढ किल्ला जितना बहूत कठीन काम हे हजारो का सैन्य वहा मौजूद रहता हे देवी मा हमारे पूर्वज कभी नही जित शके
तो माता राजल ने कहा तूम पस्चिम दरवाजे से हूमला करो वहा गढ पर श्रीफल चूंदडी मिलेगे मेे तेरे भाले पर देव चकलि बनकर बिराजूगी ये सूकून मिले तब यूध्ध करना विज्य तेरा हे वचन देती हू
रात को बडे भाइ राजा को जगाकर वनविरसिंह ने बात की उनसे ऱाजा सोच भी नही शकते थे की झीन्झूवाडा जीत सकते हे गम क्यूकी 5000 सूमरा की विशाल सेना वहा मोजूद थी पर विर भाइ वनविरसिंह पर उनको पूरा विस्वास था गले लगाकर अनूमती दी ओर कहा मे गर्व से वहा तेरा राजतिलक करूगा
सूबहा होते ही 500 घूडस्वारो के साथ विर वनविरसिंहने केसरीया कीया झीन्झूवाडा गढ के नेरूत्य कोने पर कंकू थापा श्रीफल चूंदडी मिले माँ राजल देव चकली बनकर भाले पर बिराजे तब जयजयकार हूइ गढ के पस्चिम दरवाजे से हूमला किया 
उधर मा राजल ने सूमरा सैन्य को बिमारी कोलेरा कर दीया झाडा उल्टी ओर कमजोर कर दीया कोोइ शराब मे मस्त थे तभी विर राजवी ने ऊट को आडश रखकर हाथी से दरवाजा तोड दीया 
फिर भयंकर यूध्ध हूवा विरता की कसोटी थी वनविरसिंह ने केसरीया किया था रोद् रूप धारन कीया अकेेले 500 सूमरा को काट दीया दो दीन यूध्ध चला 2000 सूमरा को सैन्य ने मार दीया ओर त्राहीमाम जनता का भी साथ मिला बाकी सभी विर घायल शेर वनविरसिंहकी दहाड सूनकर भागने लगे
विज्यनाद हूवा झालावाड का गौरवदीन बना ये महान विज्य
राज छत्रछालजी भी पधारे गले लगाया स्नेह से विर भाइ को ओर झीन्झूवाडा गादी पर राज वनविरसिंह का राजतिलक किया जयनाद हूवा तब माँ राजल प्रगट हूवे ओर आशिस दीया की अब से मे सहायक देवी बनूगी ओर सभी तरफ मूसलमान रीयासत होते हूवे भी आपको कभी कोइ हरा नही पायेगा आज तक वहा झाला राजपूतो का राज हे सभी राजगादी बदली पर झीन्झूवाडा को कोइ कयजीत नही पाया सोमनाथ पर जब आक्मन हूवे तब पहेला यूध्ध यहा होता था पर जित नही पाते मबॊलमान इस किल्ले को और आगे बढते थे ऐकवार तो सोमनाथ का लूटा हूवा धन भी यहा से योजना बनाकर मुसलमान सैन्य को रन मे गूमराह कर वापस लिया
विर वनविर सिंह की ये विजय इतिहास मे सूवर्ण अक्षर मे लिखी गयीa