★* शोर्य गाथा *★
पुरे भारत की नारी ओ की मर्यादा की रक्षा करनेवाली विर नारी की शोर्यगाथा
★****::::::::::::★::::::::::::***★
ये तस्विर बिकानेर के महल की हे
किरन शेरनी सी चडी अकबर हाथ पसार
राजपुताना धर्म राखे आप जिवतदान
***%%%%********
इसका इतिहास गुजरात झालावाड से जुडा हे
बिकानेर की पूथ्वीराज की जान झीझूवाडा झालावाड मे आयी थी.
तह पूरे भारत मे मूजरा मूहदीखाइ डोली प्रथा बादशाहने चालू की थी.
कोइ भी डोली बादशाह को सलाम करने ले जाने का फरमान...
पर यहा झालावाड के भायात झीझूवाडा के विर राजा की कूवरी किरनबा.
जो उनकी सहायक देवी मॉ राजल की उपासक थी उसने शर्त रखी शादी तब करूगी जब आप वचन दो की हादशाह के दरहार मे डोली नही भेजाोगे... बारात मे सन्नाटा मच गया बादशाह से यूध्ध जेसी बात...
तब बहादूर यूवराज जो शादी करनाे आये थे बहूत चिंतीत हूवे..
तभी ऐक वीर राजवी कलाजी राठोड साक्षी बना की हे बहन मे वचन देता हू जब तक जीवीत हू मे बादशाह के वहा तेरी डोली नही जायेगी..
राजकूमारी ने कहा भाइ आप पर भरोसा हे पर मूजे कोइ देवी शक्ति का जामीन भरोसा भी चाहीये क्यू की बादशाह से वो,ही बचा शकती हे
पूथ्वीराजसिंह. आबरू जाने के डर से सिंहसर तालाव की पाल पर जाकर कटार खीचकर आत्महत्या करने जा रहे थे ..
तभी अचानक ऐक देवी प्रगट हूइ. बोले मे राजल हू मॉ भी कहलावूगी मे तेरी साक्षी बनती हू
मेरी राजबाइ की उपासक बेटी की रक्षा मे राजल और मेरी कुलदेी मोगल माँ शेरनी बनकर करेगे..
फिर धामधूम से विवाह हूवा..
डोली लाने का बादशाह का हूकम न मानने पर यूध्ध करने की बात आयी बिकानेर की सेना बीलकूल छोटी सी थी...
तभी किरनबा की प्रार्थना से आइ राजल की कूलदेवी शेरनी बनकर डोली मे सवार हूइ और वीर कलाजी ने डोली उठायी ये दोनो के भरोसे किरनबा... डोली मे बेठे
डोली दील्ही पहूची की पूरा गढ हीलने लगा. झाडा उल्टी सैनिको को,होने लगी. डोली बादशाह के सैनीक खोले उससे पहले कलाजी राठोड कटार लेकर बादशाह की गरदन पर बेठ गया मॉ राजल किरनबा मे प्रवेशकर शेरनी बनकर अकबर को गीराकर उसकी छाती पर पेर रखकर कटार लेकर साक्षात जगदम्बा स्वरुप प्रगट हूवे.. बादशाह ने हाथ जोडकर कहा देवी मॉ हम मॉगलो की मॉ बनकर मूजे माफ करो हम सदा आपकी पूजा करेगे. हम आपकी गाय समान हे. और राजपुत का धर्म शरणागत को क्षमा देता हे फिर राजपुत धर्म के कारण किरनबा ने क्षमा अकबर को जिवतदान दीया और मॉ मॉगल का बादशाह के दरबार मे स्थानक बनवाया जो आज भी हे मॉगल मॉ.. वहा मोजुद हे और झीन्झुवाडा मे भी वही मंदीर मौजुद हे विर नारी ने भारत के बादशाहको डरा दीया फिर उसने आजिवन हिन्दु धर्म का हिन्दु नारी का सन्मान करना शुरु किया
और कलाजी के कहने पर बादशाहने लिखकर हूकूम कीया की
आज से,पूरे भारत मे डोली प्रथा बंध.
ओर लोलादे को प्रणाम कर मानसहित डोली बादशाहने विदाय की....
कोइ और विशेष जानकारी हो किसीके पास तो जरुर दीजीये... ये इतिहास बिकानेर और झीझूवाडा और कलाजी के स्टेट मे मोजूद हे...
और आज भी राजल की कूलदेवी मॉ मॉगल की देरी झीझूवाडा मे राजबाइ माता के मन्दीर के सामने हे...
विर नारी की भक्ति की शक्ति से सारे भारत कि नारी के सन्मान मर्यादा की रक्षा हुइ भारत कि विर नारी और माँ राजल को शत शत वंदन
* ★जय मॉ मॉगल जय मॉ राजल **★